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Yoga For Women: महिलाओं के लिए योग एवं नियम

Yoga For Women: जिस तरह पुरुषों, बच्चों एवं वृद्धों के लिए आसन उपयोगी होती है उसी प्रकार स्त्रियों के लिए भी योगासन अनिवार्य है। स्त्रियों पर गृहस्थी की पूर्ण जिम्मेदारी होती है। अत: उनका निरोग एवं प्रसन्नचित्त रहना आवश्यक है। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को योगासन की जरूरत इस कारण भी अधिक होती है कि वे गर्भ धारण करती हैं। बच्चों का लालन-पालन करती हैं। गृहस्थ जीवन की दैनिक जिम्मेदारियां भी वहन करती हैं । अत: उनके शरीर में अधिक टूट-फूट तथा शक्ति क्षय होती है। शक्ति पूर्ति हेतु उन्हें योगासन करना जरूरी है।

महिलाओं के लिए योग की धारणा

पुरुष समाज इस ओर उदासीन है। स्त्रियां भी इसके बारे में नही सोचतीं । वे योगासन एवं व्यायाम को बेकार समझती हैं। वे घर के कार्यों में थक जाती हैं। अज्ञानवश उसे ही व्यायाम समझती है। इस गलत धारणा से मुक्त होना महिलाओं के लिए आवश्यक है। घर के कार्यों को व्यायाम में शामिल नही किया जा सकता। वे शरीर के किसी अंग या संस्थान को शक्ति प्रदान करने के लिए नहीं किए जाते, प्रत्युत् थकान पैदा करते हैं। जबकि योगासन शक्ति प्रदान करते हैं।

उच्च मध्यम परिवारों में घर का कार्य भी नौकर, दाई आदि करते हैं। उन महिलाओं की और भी दयनीय स्थिति होती जा रही है। शरीर के श्रम का अभाव होने से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं ।

महिला स्वास्थ्य एवं योग (Yoga effects on women health)

योगासन से शरीर में लचीलापन बना रहता है। लचीलापन स्वास्थ्य और सुन्दरता की निशानी है। स्त्रियों की माँसपेशियों में लचीलापन और भी जरूरी है, जिससे शिशु- -प्रसव सरलता एवं बिना कष्ट के हो सके। गर्भवती महिलाओं के लिए योग बहुत फायदेमंद होता है, ऐसा अनेक संस्थानों ने आसन अभ्यास करने वाली महिलाओं के परीक्षण से सिद्ध किया है। 

उचित आहार के बिना महिलाओं में रोगों की अधिकता दिखाई देती है। खून की कमी तो स्त्रियों में प्राय: पाई जाती है। मोटापा, ब्लड-प्रेशर, हाँफना आदि रोगों से महिला समाज बुरी तरह ग्रस्त है। इन सब प्रकार के रोगों से बचने एवं उसके निवारण में योगासन महत्वपूर्ण है।

महिलाओं को यह बात मन से निकाल देनी चाहिए कि योगासन से शरीर में नुकसान पहुँचता है। महिलाओं के स्वस्थ शरीर निर्माण में योगासन अन्य व्यायामों की अपेक्षा सरल, सहज एवं सुविधाजनक रहता है।

नया अभ्यास करने वाली महिलाओं को प्रारम्भ में हल्के-हल्के आसनों का अभ्यास कर अपने लिए 15-20 मिनट के कार्यक्रम को व्यवस्थित बना लेना चहिए। 

स्त्रियों के लिए योगासन के नियम (Yoga asanas rule for ladies)

  1. मासिक धर्म के दिनों में योगासन का अभ्यास नही करना चाहिए। इन दिनों में अधिक से अधिक आराम की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के 4 महीने बाद योगासन का अभ्यास बन्द कर देना चाहिए। प्रसव के बाद दो महीने तक आसन नहीं करना चाहिए। दो महीने के बाद भी अगर सामान्य शक्ति का अनुभव न हो तो, बन्द रखें ।
  2. भोजन हल्का, पौष्टिक एवं सुपाच्य होना चाहिए। बासी सड़े-गले एवं अधिक मिर्च-मसाले तथा तली-भुनी चीजें न खाएं ।
  3. योगासन स्नान के पश्चात् करना लाभप्रद है। वैसे पहले भी किया जा सकता है।
  4. आसन करते समय कम्बल अथवा मोटा कपड़ा 3-4 तह किया हुआ जमीन पर या लकड़ी के पट्टे पर बिछा कर आसन करें। आसन करते समय ऐसे वस्त्रों का चुनाव करें, जिससे आसन में संकोच एवं बाधा न आए।
  5. शरीर पर कपड़े हल्के एवं कसे हुए नहीं होने चाहिए। चोली एवं कमर पर कसाव अधिक होने से रक्ताभिसरण में बाधा पहुँचती है।
  6. आसन करते समय चित्त शांत रहे। चित्त को उसी क्रिया में लगाए रखें। 
  7. योग्य शिक्षिका की देख-रेख में आसनों का अभ्यास शुरू करना उचित है।
  8. रोगी व्यक्ति को भावना-प्रयोग द्वारा आसनों से हो रहे लाभ के प्रति जागरुकता से उस अंग-विशेष में शक्ति प्राप्त हो रही है, ऐसी भावना करते रहना चाहिए।
Priya Singh
Priya Singhhttps://saralstudy.com/hindi/
प्रिया, महिलाओं के स्वास्थ्य, योग और ध्यान के बारे में लिखती हैं और जब वह काम नहीं कर रही होती हैं तो विभिन्न स्थानों की खोज करना और प्राकृतिक परिदृश्य पर क्लिक करना पसंद करती हैं। वह पांच साल से अधिक समय से उद्योग में हैं और उन्होंने विभिन्न बीमा कंपनियों और स्वास्थ्य स्टार्टअप के साथ काम किया है।

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