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Surya Namaskar: सूर्य नमस्कार मंत्र का अर्थ और अभ्यास मार्गदर्शिका

Sun Salutation with Steps: सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) एक संपूर्ण योग अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारता है। यह दिन की एक सकारात्मक शुरुआत करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। इसके नियमित अभ्यास से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और इसके अनगिनत लाभों का आनंद लें।

सूर्य नमस्कार (Surya Namskar), जिसे “सूर्य की पूजा” के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन योग प्रथा है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। इसमें विभिन्न आसनों का संयोजन होता है, जिन्हें सूर्य के प्रति श्रद्धा और सम्मान के साथ किया जाता है। इस प्रथा के साथ एक विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता है, जो ध्यान और समर्पण को बढ़ाता है।

Table of Contents

सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya Namskar Mantra)

ध्येयं सदा सवितृमण्डलमध्यवर्तिन्। नारायणः सरसिजासन सन्निविष्टः।

केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटिः। हारि हिरण्मयवपुः धृतशङ्खचक्रः॥

सूर्य नमस्कार मंत्र का क्या अर्थ होता है (Surya namaskar mantra meaning in Hindi)

सूर्य नमस्कार मंत्र (Sun salutation mantra) का अर्थ और महत्व बहुत गहरा है। यह मंत्र सूर्य देवता की पूजा और सम्मान के लिए उच्चारित किया जाता है, जो जीवन का स्रोत और ऊर्जा का प्रतीक हैं। यहाँ सूर्य नमस्कार मंत्र का अर्थ विस्तार से बताया गया है:

1. ध्येयं सदा सवितृमण्डलमध्यवर्तिन्:
    • अर्थ: हम उस सूर्य को ध्यान में रखते हैं जो हमेशा अपने मंडल के मध्य स्थित होता है। यह सूर्य की स्थिरता और उसकी ऊर्जा को दर्शाता है।
2. नारायणः सरसिजासन सन्निविष्टः
    • अर्थ: नारायण, जो कमल पर विराजमान हैं। यह भगवान विष्णु का प्रतीक है, जो जीवन के पालनहार हैं।
3. केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटिः
    • अर्थ: वह जो आभूषणों से सुशोभित है और मकरकुण्डल (मछली के आकार के कान के झुमके) पहने हुए है। यह भगवान की शक्ति और वैभव को दर्शाता है।
4. हारि हिरण्मयवपुः धृतशङ्खचक्रः:
    • अर्थ: वह जो सुनहरे शरीर वाला है और शंख तथा चक्र धारण करता है। यह शक्ति, संरक्षण और समृद्धि का प्रतीक है।

मंत्र का शब्दार्थ

  1. ध्येयं: यह मंत्र सूर्य देवता की आराधना करता है, जो सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत हैं।
  2. सवितृमण्डलमध्यवर्तिन्: “सवितृमण्डलमध्यवर्तिन्” का अर्थ है कि सूर्य देवता सभी जगह उपस्थित हैं और हमें अपनी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  3. नारायण: यहाँ नारायण का उल्लेख किया गया है, जो सभी प्राणियों के पालनहार हैं।
  4. सरसिजासन: यह शब्द कमलासन का संकेत देता है, जो शांति और ध्यान का प्रतीक है।
  5. सन्निविष्टः‘सन्निविष्टः’ का मतलब है ‘स्थित’
  6. केयूरवान: यह शब्द उन आभूषणों का संदर्भ देता है जो भगवान के हाथों में होते हैं, जो उनकी शक्ति और वैभव को दर्शाते हैं।
  7. मकरकुण्डलवान: मछली के आकार के कान के कुण्डल (झुमके)
  8. किरीटिः किरीट एक तरह का मुकुट या मुकुट जैसा अलंकार होता है. इसे माथे पर पहना जाता है
  9. हिरण्मयवपुः हिरण्मय का अर्थ होता है सुनहरे और वपु का अर्थ होता है – शरीर, देह, अर्थात सुनहरे शरीर वाला
  10. धृतशङ्खचक्र: यह शंख और चक्र को संदर्भित करता है, जो उनके संरक्षण और रक्षा का प्रतीक हैं। यहाँ इसका अर्थ होता है शंख और चक्र धारण करने वाला

सूर्य नमस्कार का अभ्यास कैसे करें

योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण अभ्यास है सूर्य नमस्कार, जिसमें 12 आसनों का सम्मिलन होता है। यह न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी व्यक्ति को शक्ति प्रदान करता है। सूर्य नमस्कार दिन की शुरुआत करने का एक उत्तम तरीका है क्योंकि यह पूरे शरीर को सक्रिय करता है और मन को शांत करता है।

सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स:

यह 12 योग आसनों का समूह है, जो शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और मानसिक शांति प्रदान करने में मदद करता है। आइए जानते हैं सूर्य नमस्कार के 12 चरण और उनके अनगिनत लाभ।

सूर्य नमस्कारअभ्यास
Surya Namaskar 12 pose
1. प्रणामासन (Prayer Pose)
  • इस आसन में खड़े होकर हाथों को जोड़ते हुए प्रार्थना मुद्रा में खड़े होते हैं।
  • लाभ: मानसिक शांति और ध्यान को केंद्रित करता है।

2. हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose)

  • अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और कमर को पीछे की ओर झुकाएं।
  • लाभ: छाती को खोलता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
3. पादहस्तासन (Standing Forward Bend)
  • आगे की ओर झुकें और हाथों से पैर के अंगूठे को छूने की कोशिश करें।
  • लाभ: रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है, पेट के अंगों की मालिश करता है।
4. अश्व संचलनासन (Equestrian Pose)
  • दाएं पैर को पीछे की ओर खींचें और बाएं पैर को आगे रखें, घुटनों को मोड़ें।
  • लाभ: हिप्स और जांघों को लचीला बनाता है।
5. दंडासन (Stick Pose)
  • अब अपने शरीर को सीधा रखते हुए दोनों पैरों को पीछे ले जाएं, जैसे पुश-अप्स की स्थिति।
  • लाभ: बाजुओं और कंधों को मजबूत बनाता है।
6. अष्टांग नमस्कार (Eight Limbs Pose)
  • छाती, घुटनों और ठोड़ी को जमीन से स्पर्श करते हुए शरीर को झुकाएं।
  • लाभ: शरीर के विभिन्न हिस्सों पर दबाव डालकर मांसपेशियों को सक्रिय करता है।
7. भुजंगासन (Cobra Pose)
  • अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं और छाती को खोलें।
  • लाभ: रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।
8. अधोमुख श्वानासन (Downward Facing Dog Pose)
  • अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं और एक उल्टा ‘V’ आकार बनाएं।
  • लाभ: पूरे शरीर की मांसपेशियों को खींचता है और रक्त संचार को सुधारता है।
9. अश्व संचलनासन (Equestrian Pose)
  • इस बार बाएं पैर को पीछे की ओर खींचें और दाएं पैर को आगे रखें।
  • लाभ: हिप्स और जांघों की मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
10. पादहस्तासन (Standing Forward Bend)
  • फिर से आगे की ओर झुकें और पैरों के अंगूठों को छूने की कोशिश करें।
  • लाभ: रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है।
11. हस्त उत्तानासन (Raised Arms Pose)
  • शरीर को सीधा करते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर झुकाएं।
  • लाभ: छाती को खोलता है और सांस लेने की क्षमता को सुधारता है।
12. प्रणामासन (Prayer Pose)
  • अंत में, फिर से हाथों को जोड़ते हुए प्रार्थना मुद्रा में खड़े हो जाएं।
  • लाभ: मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

सूर्य नमस्कार के 12 नामों का जाप 

  1. ॐ मित्राय नमः ।
  2. ॐ रवये नमः ।
  3. ॐ सूर्याय नमः ।
  4. ॐ भानवे नमः ।
  5. ॐ खगाय नमः ।
  6. ॐ पूष्णे नमः ।
  7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।
  8. ॐ मरिचये नमः ।
  9. ॐ आदित्याय नमः ।
  10. ॐ सवित्रे नमः ।
  11. ॐ अर्काय नमः ।
  12. ॐ भास्कराय नमः ।
  13. ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः ।

सूर्य नमस्कार का महत्व (Importance of Surya Namskar)

सूर्य नमस्कार केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति और ध्यान के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस प्रथा को नियमित रूप से करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है, ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है, और मानसिक तनाव कम होता है।

विशेष महत्व

सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya namaskar mantra) का प्रभाव व्यापक होता है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। इसे नियमित रूप से करने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी शांत और सकारात्मक बना रहता है। इसलिए, इसे अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

  • आध्यात्मिकता: इस मंत्र का उच्चारण करने से साधक को मानसिक शांति और ध्यान में सहायता मिलती है। यह साधना के दौरान ऊर्जा को संचित करने में मदद करता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है, और मानसिक तनाव कम होता है।
  • सकारात्मकता: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे व्यक्ति के मनोबल में वृद्धि होती है।

सूर्य नमस्कार का क्या प्रभाव होता है (Effects and Benefits of Surya Namaskar)

सूर्य नमस्कार मंत्र का प्रभाव शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर गहरा होता है। यहाँ कुछ प्रमुख प्रभावों का विवरण दिया गया है:

1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

सूर्य नमस्कार (Surya namaskar) का नियमित अभ्यास शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है। यह विभिन्न आसनों का समावेश करता है, जो मांसपेशियों को टोन करते हैं और शरीर की ताकत बढ़ाते हैं। इसके अभ्यास से:

  • पाचन तंत्र: पाचन क्रिया में सुधार होता है, जिससे कब्ज और अन्य उदर रोगों की समस्या कम होती है.
  • वजन नियंत्रण: यह वजन कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह कैलोरी बर्न करने का एक प्रभावी तरीका है4.
  • ऊर्जा स्तर: नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है, जिससे दिनभर सक्रिय रहना संभव होता है.
  • त्वचा की समस्याएं: त्वचा संबंधी रोगों की संभावना कम होती है और त्वचा में निखार आता है.
  • सर्वाइकल और स्लिप डिस्क: विशेष रूप से गर्दन और पीठ के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन कुछ स्थितियों में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है.

2. मानसिक स्वास्थ्य

सूर्य नमस्कार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है:

  • तनाव में कमी: यह तनाव और चिंता को कम करता है, जिससे मन की शांति मिलती है4.
  • ध्यान और एकाग्रता: मंत्रों का उच्चारण करते समय ध्यान केंद्रित करना मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता को बढ़ाता है.

3. आध्यात्मिक विकास

सूर्य नमस्कार का अभ्यास आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है:

  • सूर्य की पूजा: मंत्रों के साथ सूर्य देवता की पूजा करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन में सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है.
  • आध्यात्मिक जागरूकता: यह साधक को अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानने और उसे जागृत करने में मदद करता है।

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निष्कर्ष

सूर्य नमस्कार मंत्र (Sun Salutation mantra) न केवल एक साधना का हिस्सा है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक माध्यम भी है। इसके उच्चारण से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है, साथ ही आध्यात्मिक विकास भी होता है। इसे नियमित रूप से करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सूर्य नमस्कार (surya namaskar) मंत्र का उच्चारण करते समय ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक स्पष्टता और आत्म-समर्पण की भावना भी विकसित करता है। बच्चों को इस मंत्र की महत्ता समझाना और उन्हें इसे नियमित रूप से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।

आपको सूर्य नमस्कार के लाभों को समझने और इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाता है!

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Manish Singh
Manish Singhhttps://infojankari.com/
मनीष एक डिजिटल मार्केटर प्रोफेशनल होने के साथ साथ धर्म और अध्यात्म में रुचि रखते हैं। अपने आध्यात्मिक गुरुजी श्री विजय सैनी जी को दूसरा जीवनदाता मानते हैं और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों और शिक्षा को सर्वजन तक पहुचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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