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Teej Festival: तीज – शिव, पार्वती वंदना, पति और परिवार के लिए भलाई की कामना

भारत एक ऐसा देश है जो अपने विविध और भिन्न प्रकार के त्योहारों के लिए जाना जाता है, और इनमें से एक है “तीज” (teej) जो एक साल में दो बार मनाया जाता है, एक बार श्रावण मास में और फिर भाद्रपद (भादो) मास में। तीज बस एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हिन्दू संस्कृति में प्यार, निष्कर्षण और एकता के शाश्वत बंधनों का प्रतीक है जो भारतीय समाज की पहचान है।

श्रावण में तीज (हरियाली तीज) – Hariyali teej

यह त्योहार हिन्दू माह श्रावण के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आता है।

हरियाली तीज की उत्पत्ति और इतिहास

श्रावण में तीज, जिसे हरियाली तीज या सावन तीज भी कहा जाता है, यह वर्षा ऋतु के मौसम के दौरान मनाया जाता है, आमतौर पर जुलाई या अगस्त में। इसकी उत्पत्ति हिन्दू पौराणिक कथाओं में मिलती है, जहां इसे भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलने की याद में मनाने के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथानुसार, देवी पार्वती ने इस दिन कड़ा उपवास और प्रार्थना की थी ताकि वह भगवान शिव का ह्रदय जीत सके, और उनसे विवाह कर सके।

हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej ka mahatva)

यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है जो सूर्योदय से चांद्रोदय तक उस दिन उपवास रखती हैं, अपने पतियों के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करती हैं। यह उपवास कठिन होता है, जिसमें महिलाएं पूरे दिन भोजन और पानी के बिना व्रत रखती हैं। इस पर्व में महिलाएं खासकर हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी डिज़ाइन बनाती हैं। शाम को, चांद को देखकर वो अपना उपवास तोड़ती हैं।

हरियाली तीज के रीति-रिवाज और उत्सव (Hariyali teej kaise manate hain)

हरियाली तीज मनाने का तरीका और रीति-रिवाज अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं। हालाँकि, हम उस रीति-रिवाज और उत्सव के बारे में जानेंगे जो अधिकांश क्षेत्रों में आम है।

हरियाली तीज या श्रावण की तीज मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में मनाई जाती है।

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

विवाहित महिलाएं इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, और एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

उपवास और प्रार्थना

विवाहित महिलाएं अपने पतियों के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम का प्रदर्शन करते हुए कठोर व्रत रखती हैं। वे अपने पतियों के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।

श्रृंगार

महिलाएं जीवंत हरे रंग की पोशाक पहनती हैं, जो विकास और प्रजनन क्षमता का प्रतीक है, और अपने हाथों पर मेहंदी डिजाइन लगाती हैं।

चन्द्र दर्शन

शाम को चंद्रमा देखने के बाद व्रत खोला जाता है और महिलाएं अक्सर समाज की महिलाओं के साथ मिलकर जश्न मानती हैं और नृत्य करती हैं।

हरतालिका तीज (भाद्रपद तीज) – Hartalika Teej

हरतालिका तीज (भाद्रपद तीज) हिन्दू माह भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है।

हरतालिका तीज भारत के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है, जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल के राज्यों में। इसके अलावा, यह त्योहार इन क्षेत्रों में और नेपाल में भी मनाया जाता है, जैसे कि नेपाली समुदायों में।

हरतालिका तीज – इतिहास और उत्पत्ति (History and origin of Hartalika Teej in Hindi)

भद्रपद में मनाया जाने वाला तीज त्योहार, आमतौर पर अगस्त या सितंबर में प्रकृति और फसलों के मौसम के प्रति कृतज्ञता दर्शाने के लिए किया जाता है। यह मानना है कि भद्रपद में तीज वर्षा ऋतु का समापन और शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक होता है।

हरतालिका तीज विवाहित महिलाओं द्वारा प्रमुख रूप से मनाया जाता है, जिन्होंने उपवास रखती हैं और अपने पतियों और परिवार के लिए विभिन्न अनुष्ठानों में भाग लेती हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में, अविवाहित किशोरीयाँ भी तीज उत्सव में भाग लेती हैं ताकि उनके भविष्य में समृद्धि की आशीर्वाद प्राप्त हो और परिवारी बंधन को मजबूत किया जा सके।

हरतालिका तीज का महत्व

महिलाएं हरतालिका तीज में अपने परिवारों के समृद्धि के लिए प्रार्थना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। त्योहार अक्सर अपने समुदाय के साथ, गाने और नृत्य के साथ मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भी श्रावण मास की तरह कठिन उपवास करती हैं, लेकिन यहां परिवार के कुल मंगल के लिए भी ध्यान दिया जाता है।

हरतालिका तीज कैसे मनाया जाता है

हरतालिका तीज और हरियाली तीज मानाने का तरीका लगभग सामान है। इन दोनों तीजो में दो विशेष अंतर होते हैं।

  1. हरियाली तीज में जहाँ सिर्फ पति के लिए व्रत किया जाता है वहीं हरतालिका तीज (जो भाद्रपद में मनाया जाता है) में पति के अलावा पुरे परिवार की समृद्धि के लिए व्रत किया जाता है।
  2. हरियाली तीज (जो सावन के महीने में मनाया जाता है ) में सिर्फ व्रत के दिन सूर्योदय ऐसे सूर्यास्त तक का व्रत रखते हैं, वहीं हरतालिका तीज (भाद्रपद में मनाया जाने वाला) में पुरे दिन-रात का व्रत किया जाता है और उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद तोडा जाता है।
देवताओं की पूजा

भद्रपद की तीज में, लोग कृषि और प्रकृति से जुड़े विभिन्न देवताओं की पूजा करते हैं, सफल फसल के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

उपवास और प्रार्थना

विवाहित महिलाएं श्रावण मास की तरह कठिन उपवास रखती हैं, अपने परिवारों के भलाई के लिए।

सामाजिक उत्सव

लोग अपने समुदाय के साथ इस उत्सव को संगीत और आकर्षक नृत्य के साथ मानते हैं।

अनुष्ठान

अनुष्ठान क्षेत्र के हिसाब से बदल सकते हैं, लेकिन अक्सर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करते हैं। पूरे दिन का निर्जला उपवास करते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही कुछ खाते पीते हैं।

तीज कथा

तीज कथा, या तीज की कहानी, देवी पार्वती की भगवान शिव के प्रति उनके समर्पण, प्यार, भक्ति और अटूट प्रेम के बारे में बताती है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने तीज के दिन सख्त उपवास किया था, और इसी से खुश होकर भगवन शिव ने उनसे विवाह किया था।

निष्कर्ष:

तीज, श्रावण और भद्रपद दोनों में मनाकर, भारतीय संस्कृति में गहरे रूप से बसे सांस्कृतिक परंपराओं, भक्ति और एकता के प्रतीकों की प्रतिष्ठा करता है। यह पर्व मानव और प्रकृति के बीच के जड़ संबंधों का भी प्रतीक है। जब परिवार एक साथ आते हैं, महिलाएं उपवास करती हैं और साथ में प्रार्थना करती हैं, तो यह पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण से समर्पण, प्यार और समृद्धि की ओर एक कदम बढ़ाता है। इसके अलावा, तीज एक सामाजिक आयोजन है जो समुदाय के सदस्यों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है, और विविधता और समृद्धि की महत्वपूर्ण भावना को बढ़ाता है।

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FAQs

Q. हरतालिका तीज २०२३ कब है ? (Hartalika Teej 2023 kab hai)

Ans. इस साल तृतीया तिथि १७ सितम्बर २०२३ को ११ बजकर ८ मिनट (11.08 AM, 17 सितम्बर 2023) से शुरू होकर १८ सितम्बर २०२३ को १२ बजकर ३९ मिनट (12.39 PM, 18 सितम्बर 2023) पर समाप्त हो रहा है। इसलिए 2023 में हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सूर्योदय के बाद १८ सितम्बर २०२३ (18 सितम्बर 2023) को मनाया जायेगा। अगर पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो सुबह 06:07 AM to 08:34 AM तक मुहूर्त सबसे शुभ है।

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