HomeHealth JankariYoga Asanas: आसन और प्राणायाम के नियम एवं आवश्यक विधि-निषेध

Yoga Asanas: आसन और प्राणायाम के नियम एवं आवश्यक विधि-निषेध

Yoga Asanas: अब हमें ये तो पता है की योगासन और प्राणायाम हमारे स्वस्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। योगासन और प्राणायाम हमेशा किसी योग्य गुरु की देखरेख में शुरू किया जाना चाहिए। क्योंकि अगर ये सही तरीके से नहीं किये जाये तो शायद फायदे के बदले नुकसान ही ना पहुंचा दे। यहाँ इस लेख में हम योग आसान एवं प्राणायाम के सावधानियों के बारे में बात करेंगे।

आसन और प्राणायाम के आवश्यक विधि निषेध

  1. जिन व्यक्तियों के कान बहते हों, नेत्र ताराएं कमजोर हों एवं हृदय दुर्बल हों, उन्हें शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
  2. उदरीय अवयवों में पीड़ा एवं तिल्ली में अभिवृद्धि वाले व्यक्तियों को भुजंगासान, शलभासन, धुनरासन नहीं करने चाहिए।
  3. कोष्ठ-बद्धता, (कब्ज) से पीड़ित व्यक्ति को योगमुद्रा, पश्चिमोत्तानासन अधिक समय तक नहीं करना चाहिए।
  4. हृदय-दौर्बल्य में साधारणतया उड्डियान और नौली क्रिया नहीं करनी
  5. फेफड़ों के दौर्बल्य में उज्जाई प्राणायाम और कुम्भक न किया जाए।
  6. जिन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप रहता हो उन्हें कठोर यौगिक अभ्यास नहीं करना चाहिए।

आसन और प्राणायाम के सामान्य सावधानियाँ

  1. यौगिक अभ्यास का प्रभाव क्लान्ति या स्फूर्तिनाशक नहीं होना चाहिए। यौगिक अभ्यास के बाद पूर्ण उत्साह की अनुभूति होनी चाहिए।
  2. पूरे अभ्यास क्रम को एक साथ निरन्तर करना आवश्यक नहीं है। बीच- बीच में आवश्यकतानुसार विश्राम भी किया जा सकता है।
  3. अभ्यास क्रम में लगाये गये बल से शरीर की किसी भी प्रणाली पर कोई तनाव न पड़े।
  4. आसन सजग रह कर, आत्मविश्वास से सम्पादित करने से ध्येय की पूर्ति होती है ।
  5. यदि बीच में लम्बे समय तक अभ्यास रुक गया हो तो उसका पुनः अभ्यास करें। उसकी पूरी मात्रा तक पहले की अपेक्षा अल्प समय में ही पहँचा जा सकता है।
  6. अल्प मात्रा में ठोस खाद्य पदार्थ ग्रहण करने के उपरान्त लगभग डेढ़ घंटे तक योगाभ्यास नहीं करना चाहिए।
  7. योगाभ्यास के बाद आधे घंटे तक भोजन एवं 10 मिनट तक नाश्ता न करें।
  8. आसनों के अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाएँ। कम समय में अधिक आसन के बजाय आसनों का समय बढ़ाने की कोशिश करें।
  9. आसन में सामान्यतया श्वास गहरी व दीर्घ लेनी चाहिए। शरीर को झुकाना व मोड़ना हो, उस समय रेचन करें, सीधा करते हुए पूरक करें।
  10. आसनों के पश्चात् प्राणायाम करें। प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाएँ ।
  11. आसन करते समय अपने चित्त को सजग रखकर उसी में अपने आप को लीन रखें। कम से कम मानस-चक्षुओं से उस आसन का साकार रूप बना लें ।

आसन और प्राणायाम के विशेष सावधानियां

  1. गंदे-दूषित वातावरण में प्राणायाम न करें।
  2. बिस्तर में मुँह ढंक कर प्राणायाम न करें।
  3. भोजन के पश्चात् दो घंटे तक प्राणायाम न करें।
  4. सहज प्राणायाम किसी भी समय किया जा सकता है।
  5. प्राणायाम करते समय पद्मासन एवं वज्रासन उत्तम आसन है।
  6. शरीर को शिथिल एवं मुखाकृति को शांत एवं प्रतिक्रिया रहित रखें। शरीर के किसी अवयव पर तनाव न आए।
  7. आसन के पश्चात् कायोत्सर्ग कर, प्राणायाम करें।
  8. प्राणायाम का अभ्यासी धूम्रपान एवं अन्य उत्तेजक द्रव्यों का सेवन न करें ।
  9. बलपूर्वक श्वास-प्रश्वास की क्रिया न करें। कुम्भक अभ्यास क्रमिक बढ़ाना चाहिए, एक साथ नहीं।
  10. शीतकाल में शीतकारी, शीतली और चन्द्रभेदी प्राणायाम सामान्यतः नहीं करने चाहिए। किन्तु पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति इन प्राणायामों को कर सकते हैं।
  11. ग्रीष्मकाल में भस्त्रिका, सूर्यभेदी प्राणायाम, सर्वांगस्तम्भन प्राणायाम न करें। किन्तु कफ प्रधान प्रकृति वाला व्यक्ति इन्हें कर सकता है।
  12. वातप्रधान प्रकृति वाले ठंडक पहुंचाने वाले प्राणायाम न करें, क्योंकि इससे वायु दोष बढ़ता है।
  13. प्राणायाम के अभ्यास के समय, पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन और सुखासन का उपयोग करें। वज्रासन में भी प्राणायाम किया जा सकता है।
  14. धूंआ, धूल, सीलनयुक्त वातावरण में प्राणायाम न करें।
  15. ज्वर पीड़ित एवं विक्षिप्त व्यक्ति को प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  16. प्राणायाम में बैठने की मुद्रा शांत एवं स्थिर रहे।
  17. अति आहार, तामसिक एवं गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें।
  18. दुर्बल एवं हृदय रोगी को भस्त्रिका, सर्वांगस्तम्भन प्राणायाम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  19. प्राणायाम-सिद्धि के लिए उतावलापन न करें। आधे मिनट से क्रमश: धीरे-धीरे अभ्यास को बढ़ाएँ। सिंह और प्राण समान हैं। उतावलेपन में वश में करने की कोशिश से स्वयं का नाश हो जाता है।

यह भी पढ़ें – प्राणायाम क्या है? Pranayama Kya Hai

Manish Singh
Manish Singhhttps://infojankari.com/
मनीष एक डिजिटल मार्केटर प्रोफेशनल होने के साथ साथ धर्म और अध्यात्म में रुचि रखते हैं। अपने आध्यात्मिक गुरुजी श्री विजय सैनी जी को दूसरा जीवनदाता मानते हैं और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों और शिक्षा को सर्वजन तक पहुचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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