Atma Shanti Mantra in Hindi: सनातन धर्म के अनुसार आत्मा कभी मरती नहीं है। तथापि शरीर त्याग होने के बाद परिजन, मित्र, बंधु बांधव शोकाकुल होते हैं। ऐसी स्थिति में किसी की मृत्यु होने पर हम अपनी संवेदना के साथ साथ ये श्लोक (aatma ki shanti ke liye mantra) भी पढ़ या लिख सकते हैं। यहाँ पर श्लोक के साथ साथ भावार्थ भी दिया गया है ताकि आपको समझने में आसानी हो और उपयुक्त श्लोक के साथ आप अपनी संवेदना प्रकट कर सकें।
आत्मा की शांति के लिए मंत्र (Atma Shanti Mantra in Sanskrit and Hindi)
1. श्लोक: प्रकृतिम स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुन: पुन:। भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशम प्रकृतेर्वशात।।
भावार्थ: भगवन श्री कृष्णा भगवद्गीता में कहते हैं कि सृष्टिकर्ता और सृष्टप्रणियों की चेतन आत्मा मैं हूँ। समष्टि सूक्ष्म शरीर रूपी उपाधि ब्रह्म की अपरा प्रकृति है। कल्प के आदि में, प्रकृति में विद्यमान वासनायें व्यक्त होती हैं और कल्प की समाप्ति पर सब भूत मेरी प्रकृति में लीन हो जाते हैं। प्रकृति को चेतना प्रदान करने की क्रिया ब्रह्म की कृपा है, जिससे प्रकृति वृद्धि को प्राप्त होकर संसार वृक्ष का रूप धारण करती है। यदि परम चैतन्यस्वरूप ब्रह्म प्रकृति (माया) से तादात्म्य न करे अथवा उसमें व्यक्त न हो, तो वह प्रकृति स्वयं जड़ होने के कारण किसी भी जीव की सृष्टि नहीं कर सकती। वासनारूपी इस सम्पूर्ण भूतसमुदाय को मैं पुन: पुन: रचता हूँ। आत्मा की चेतनता प्राप्त होने के पश्चात् भूतमात्र व्यक्त हुए बिना नहीं रह सकते, क्योंकि वे प्रकृति के वश में हैं। प्रकृति के वशमें होने से परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण प्राणि समुदायको मैं अपनी प्रकृति को वश में करके बार-बार रचता हूँ।
आप सरल शब्दों में अपने भाव निम्नलिखित तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।
कुछ भी भाग्य से पहले नहीं आया है। हम आपके और आपके परिवार के लिए परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करेंगे, उसने एक दिव्य आत्मा को अपने चरणों में आश्रय दिया है, कि वह मृत आत्मा मोक्ष प्राप्त करे।
2. श्लोक: जन्मवान्यदि लोकेऽस्मिंस्तर्हितंमृत्युरन्वगात्। तस्माद परिहार्योऽयं मृत्युँजन्मवताँसदा।।
भावार्थ: जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो इस भूलोक में आया है उसे एक दिन यहाँ से जाना भी है। ये अवश्यम्भावी है और टाला नहीं जा सकता।
ये भी पढ़ें – Sanatan Dharma: दिवंगत आत्मा को ओम सद्गति या REST IN PEACE (RIP)