हिंदू सनातन धर्म में पुराणों का विशेष महत्व है। इन्हीं पुराणों में माता के शक्तिपीठों का भी वर्णन है। पुराणों की ही मानें तो जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र और गहने गिरे, वहां-वहां मां के शक्तिपीठ बन गए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं।
मान्यताओं के अनुसार,
शक्तिपीठ की कहानी – शक्ति-पीठों का उद्भव
इस दुनिया के निर्माता ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष ने अपनी एक बेटी के रूप में अदि शक्ति को पाने के लिए तपस्या की। वह प्रकट हुई और एक शर्त पर उसकी इच्छा पूरी की कि अगर उसे कभी चोट लगी, तो वह सांसारिक घर तुरंत छोड़ देगी। भगवन शिव के साथ उनका विवाह नियति ने ही सुनिश्चित किया था, जो हिन्दुओं के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं। शिव की साधारण जीवन शैली और श्मशान घाट पर उनके निवास के कारण दक्ष उनको नापसंद करते थे। लेकिन अपनी तमाम आपत्तियों के बावजूद सती ने शिव से विवाह कर लिया। बाद में, दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया जिसमें ब्रह्मा और विष्णु सहित सभी गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया था, केवल शिव जी को छोड़कर। सती को इस उत्सव के बारे में पता चला और अपने पति शिव की सलाह सुने बिना वो अपने पैतृक घर के लिए रवाना हो गईं। वहाँ पहुँचने पर उसे घोर अपमान का सामना करना पड़ा और शिव के खिलाफ इस्तेमाल किए गए सभी अपमानजनक शब्दों को सुनने के बाद सती ने अपने जीवन का त्याग कर दिया। जब महादेव को सती के निधन के बारे में पता चला, तो उन्हें एक गहरा झटका लगा और एक विनाशकारी नृत्य शुरू किया जिससे ,पूरी दुनिया उसके कदमों की आहट से कांपने लगी। यह देखकर भगवन विष्णु ने सती के शव को 51 टुकड़ों में काट दिया और जो धरती के विभिन्न हिस्सों (भारतीय उपमहाद्वीप) में गिर गया। ये ५१ हिस्से शक्ति पीठ कहलाये, जो देवी सती या शक्ति को समर्पित हैं। समय के साथ यहाँ भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ। आइए एक नजर डालते हैं इन शक्तिपीठों पर:
५१ (51) शक्ति-पीठ हैं, जिनमें से ४ (4) आदि-शक्ति पीठ हैं, १८ (18) महा-शक्ति-पीठ हैं, और शेष २९ (29) शक्ति-पीठ हैं, अधिकांश शक्तिपीठ अभी भी भारत में स्थित हैं, ७ (7) बांग्लादेश में-हैं, नेपाल में 2 हैं, पाकिस्तान में 3 हैं , श्री-लंका और तिब्बत में से प्रत्येक में 1।
4 आदि शक्ति-पीठ
- विमला शक्ति पीठ – बिराज, उत्कल, उड़ीसा
- तारा तारिणी (माँ भैरवी मंदिर), बेरहामपुर, उड़ीसा
- कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, आसाम
- दक्षिणा कलिका, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
18 महा शक्ति पीठ
- श्री काँची कामाक्षी अम्मान मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु
- श्री श्रृंखला देवी मंदिर, पंडुआ, पश्चिम बंगाल
- श्री चामुंडेश्वरी देवी मंदिर, चामुंडी हिल, मैसूर, कर्णाटक
- श्री जोगुलाम्बा मंदिर, आलमपुर, तेलंगाना
- श्री भ्रमराम्बा देवी मंदिर, श्रीसैलम, आंध्र प्रदेश
- श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
- महुरये एकवीरिका मंदिर / रेणुका देवी मंदिर, माहुर, महाराष्ट्र
- श्री गढ़कालिका माता मंदिर / महाकाली देवी, उज्जैन, मध्य प्रदेश
- पुरूहुतिका देवी मंदिर, पीठापुरम, आंध्र प्रदेश
- बिरजा देवी, जाजपुर, ओडिशा
- द्राक्षरमं मणिक्याम्बा देवी मंदिर, द्राक्षरमं, आंध्र प्रदेश
- कामरूप मंदिर, गुवाहाटी, आसाम
- माधवेस्वरी देवी मंदिर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
- ज्वालामुखी वैष्णो देवी, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश
- मंगला गौरी मंदिर, गया, Bihar
- विशालाक्षी गौरी मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- शारदा पीठ, सरस्वती देवी, कश्मीर
- श्री शंकरी देवी मंदिर, त्रिंकोमाली, श्री लंका
52 शक्ति पीठों की सूची
- कोट्टरी शक्ति पीठ – हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व में जहाँ माता सती का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भीमलोचन माने जाते हैं।
- महिष मर्दिनी शक्ति पीठ – शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट, इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है। जहाँ माता सती का आँख गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव क्रोधीश माने जाते हैं।
- सुनंदा शक्ति पीठ – सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 कि॰मी॰ दूर सोंध नदी तीरे जहाँ माता सती का नासिका गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव त्रयंबक माने जाते हैं।
- महामाया शक्ति पीठ – अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीर जहाँ माता सती का गला गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव त्रिसंध्येश्वर माने जाते हैं।
- सिधिदा (अंबिका) शक्ति पीठ – ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश जहाँ माता सती का जीभ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव उन्मत्त भैरव माने जाते हैं।
- त्रिपुरमालिनी शक्ति पीठ – जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब जहाँ माता सती का बांया वक्ष गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भीषण माने जाते हैं।
- अम्बाजी शक्ति पीठ – अम्बाजी मंदिर, गुजरात जहाँ माता सती का हृदय गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव बटुक भैरव माने जाते हैं।
- महाशिरा शक्ति पीठ – गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिर जहाँ माता सती का दोनों घुटने गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव कपाली माने जाते हैं।
- दाक्षायनी शक्ति पीठ – मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत के निकट एक पाषाण शिला जहाँ माता सती का दायां हाथ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव अमर माने जाते हैं।
- विमला शक्ति पीठ – बिराज, उत्कल, उड़ीसा जहाँ माता सती का नाभि गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव जगन्नाथ माने जाते हैं।
- गंडकी चंडी शक्ति पीठ – गण्डकी नदी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर जहाँ माता सती का मस्तक गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव चक्रपाणि माने जाते हैं।
- देवी बाहुला शक्ति पीठ – बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि॰मी॰ जहाँ माता सती का बायां हाथ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भीरुक माने जाते हैं।
- मंगल चंद्रिका शक्ति पीठ – उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि॰मी॰ जहाँ माता सती का दायीं कलाई गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव कपिलांबर माने जाते हैं।
- त्रिपुर सुंदरी शक्ति पीठ – माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाँव, उदरपुर, त्रिपुरा जहाँ माता सती का दायां पैर गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव त्रिपुरेश माने जाते हैं।
- भवानी शक्ति पीठ – छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश जहाँ माता सती का दांयी भुजा गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव चंद्रशेखर माने जाते हैं।
- भ्रामरी शक्ति पीठ – त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का बायां पैर गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव अंबर माने जाते हैं।
- कामाख्या शक्ति पीठ – कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम जहाँ माता सती का योनि गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव उमानंद माने जाते हैं।
- जुगाड्या शक्ति पीठ – जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का दायें पैर का बड़ा अंगूठा गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव क्षीर खंडक माने जाते हैं।
- कालिका शक्ति पीठ – कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता जहाँ माता सती का दायें पैर का अंगूठा गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव नकुलीश माने जाते हैं।
- ललिता शक्ति पीठ – प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश जहाँ माता सती का हाथ की अंगुली गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भव माने जाते हैं।
- जयंती शक्ति पीठ – जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश जहाँ माता सती का बायीं जंघा गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव क्रमादीश्वर माने जाते हैं।
- विमला शक्ति पीठ – किरीट, किरीटकोण ग्राम, लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि॰मी॰ दूर जहाँ माता सती का मुकुट गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव सांवर्त माने जाते हैं।
- विशालाक्षी एवं मणिकर्णी शक्ति पीठ – मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश जहाँ माता सती का मणिकर्णिका गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव काल भैरव माने जाते हैं।
- श्रवणी शक्ति पीठ – कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु जहाँ माता सती का पीठ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव निमिष माने जाते हैं।
- सावित्री शक्ति पीठ – कुरुक्षेत्र, हरियाणा जहाँ माता सती का एड़ी गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव स्थनु माने जाते हैं।
- गायत्री शक्ति पीठ – मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान जहाँ माता सती का दो पहुंचियां गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव सर्वानंद माने जाते हैं।
- महालक्ष्मी शक्ति पीठ – श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश जहाँ माता सती का गला गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव शंभरानंद माने जाते हैं।
- देवगर्भ शक्ति पीठ – कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का अस्थि गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव रुरु माने जाते हैं।
- काली शक्ति पीठ – कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेश जहाँ माता सती का बायां नितंब गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव असितांग माने जाते हैं।
- नर्मदा शक्ति पीठ – शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश जहाँ माता सती का दायां नितंब गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भद्रसेन माने जाते हैं।
- शिवानी शक्ति पीठ – रामगिरि, चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेश जहाँ माता सती का दायां वक्ष गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव चंदा माने जाते हैं।
- उमा शक्ति पीठ – वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, निकट मथुरा, उत्तर प्रदेश जहाँ माता सती का केश गुच्छ/चूड़ामणि गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव भूतेश माने जाते हैं।
- नारायणी शक्ति पीठ – शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि॰मी॰ कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु जहाँ माता सती का ऊपरी दाड़ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव संहार माने जाते हैं।
- वाराही शक्ति पीठ – पंचसागर, अज्ञात जहाँ माता सती का निचला दाड़ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव महारुद्र माने जाते हैं।
- अर्पण शक्ति पीठ – करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि॰मी॰ शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेश जहाँ माता सती का बायां पायल गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव वामन माने जाते हैं।
- श्री सुंदरी शक्ति पीठ – श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश जहाँ माता सती का दायां पायल गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव सुंदरानंद माने जाते हैं।
- कपालिनी (भीमरूप) शक्ति पीठ – विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का बायीं एड़ी गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव शर्वानंद माने जाते हैं।
- चंद्रभागा शक्ति पीठ – प्रभास, 4 कि॰मी॰ वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात जहाँ माता सती का आमाशय गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव वक्रतुंड माने जाते हैं।
- अवंति शक्ति पीठ – भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश जहाँ माता सती का ऊपरी ओष्ठ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव लंबकर्ण माने जाते हैं।
- भ्रामरी शक्ति पीठ – जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्र जहाँ माता सती का ठोड़ी गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव विकृताक्ष माने जाते हैं।
- राकिनी/विश्वेश्वरी शक्ति पीठ – सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश जहाँ माता सती का गाल गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव वत्सनाभ/दंडपाणि माने जाते हैं।
- अंबिका शक्ति पीठ – बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान जहाँ माता सती का बायें पैर की अंगुली गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव अमृतेश्वर माने जाते हैं।
- कुमारी शक्ति पीठ – रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का दायां स्कंध गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव शिवा माने जाते हैं।
- उमा शक्ति पीठ – मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा पर जहाँ माता सती का बायां स्कंध गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव महोदर माने जाते हैं।
- कलिका देवी शक्ति पीठ – नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का पैर की हड्डी गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव योगेश माने जाते हैं।
- जयदुर्गा शक्ति पीठ – कर्नाट, अज्ञात जहाँ माता सती का दोनों कान गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव अभिरु माने जाते हैं।
- महिषमर्दिनी शक्ति पीठ – वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि॰मी॰ दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का भ्रूमध्य गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव वक्रनाथ माने जाते हैं।
- यशोरेश्वरी शक्ति पीठ – यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश जहाँ माता सती का हाथ एवं पैर गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव चंदा माने जाते हैं।
- फुल्लरा शक्ति पीठ – अट्टहास, 2 कि॰मी॰ लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का ओष्ठ गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव विश्वेश माने जाते हैं।
- नंदिनी शक्ति पीठ – नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल जहाँ माता सती का गले का हार गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव नंदिकेश्वर माने जाते हैं।
- इंद्रक्षी शक्ति पीठ – लंका, स्थान अज्ञात, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है। एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है) जहाँ माता सती का पायल गिरा था। शक्ति पीठ के भैरव राक्षसेश्वर माने जाते हैं।
- तारा तारिणी शक्ति पीठ – माँ भैरवी मंदिर, बेरहामपुर, उड़ीसा जहाँ माता सती का स्तन गिरा था। इस शक्ति पीठ के भैरव तुम्बेस्वर माने जाते हैं।