Shavasana – शवासन की विधि, नियम, एवं लाभ (Shavasana or corpse pose steps and benefits in hindi): यह एक प्रमुख आसन है जो पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला आसन (Lying Asanas) है और इसे विश्राम के लिए किये जाने वाले आसनो की सूचि के अंतर्गत रख सकते हैं।
शवासन की विधि एवं लाभ (Steps and benefits of Shavasana)
शवासन शरीर को स्थिर, शिथिल और तनाव मुक्त करता है। इस स्थिति को शव की तरह होने से शवासन कहते हैं। शव-आसन मुर्दे की भाँति जड़वत् होने की अवधारणा प्रदान करता है। इस आसन में शरीर का विसर्जन अर्थात् चंचलता का त्याग तथा शरीर के प्रति जो ममत्व और पकड़ है, उसे छोड़ना होता है। चैतन्य निरन्तर जागृत रहता है। श्वास-प्रश्वास पर चित्त को एकाग्र कर प्रत्येक अंग को शिथिलता का सुझाव देते हैं और शिथिलता का अनुभव करते हैं।
शवासन कैसे करना चाहिए? (Steps of shavasana in hindi)
शवासन करने के लिए शरीर को पीठ के बल लिटा कर दोनों हाथों को शरीर के समानान्तर फैलायें। हथेलियाँ आकाश की ओर खुली रखें। दोनों पैरों के बीच एक फुट का फासला रखें। शरीर को ढीला छोड़ दें। दाहिने पैर के अँगूठे से लेकर सिर तक के प्रत्येक अवयव पर चित्त को क्रमश: केन्द्रित करें ।
- मन द्वारा शरीर के प्रत्येक अंग और प्रत्येक भाग को देखते हुए एक एक अव्यव को शिथिल तथा तनाव रहित अवस्था में अनुभव करें और शिथिलता का सुझाव दें।
- श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया बिलकुल सरल रखें
- श्वास प्रश्वास के दौरान मन को केंद्रित कर ॐ का अर्थपूर्वक उच्चारण करें। इसके साथ आनंद का अनुभव करें।
- अनुभव करें, शरीर शिथिल हो रहा है।
- शरीर शिथिल हो गया है
- शरीर में शिथिलता के साथ चैतन्य का निरंतर अनुभव करें।
शवासन कितनी देर तक करें ? (How long corpse pose can be performed)
समय – एक मिनट से पाँच मिनट । साधना में विकास की दृष्टि एवं भेद- विज्ञान की दृष्टि से 45 मिनट का अभ्यास किया जा सकता है। श्वास-प्रश्वास मन्द और शांत रखें।
शवासन कब करें (what is the right time to do savasana)
- दैनिक योगाभ्यास के दौरान कठिन असानो के पश्चात् विश्राम के लिए इस आसान का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
- आम दिनों में योगासनों के अभ्यास के अंत में भी ५-१० मिनट तक शवासन का अभ्यास करना चाहिए।
- आम तौर पर इस आसान का अभ्यास हफ्ते में एक बार ४०-४५ मिनट तक पूर्ण शवासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
शवासन करने से क्या लाभ होता है? (savasana benefits in Hindi)
शवासन के फायदे – शवासन का स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा प्रभाव एवं लाभ होता है।
- यह शारीरिक, मानसिक और भावात्मक तनावों से मुक्ति प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- शवासन से देह एवं बुद्धि की जड़ता नष्ट होती है। एकाग्रता बढ़ती है ।
- कलह उपशांत एवं मन संतुलित होता है।
- प्रत्येक अंग में स्फूर्ति उत्पन्न होती है।
- नींद की समस्या का समाधान होता है।
- उच्च रक्तचाप हृदय रोग एवं अनिंद्रा से ग्रसित लोगो के लिए यह आसान सर्वोत्तम है। ऐसे रोगियों को यह आसान नियमित तौर पर करना चाहिए।
- शवासन के करने से स्नायु दुर्बलता, थकन और नकारात्मकता दूर होती है।
- ध्यान करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
शवासन से ग्रन्थी तंत्र पर प्रभाव (Shavasana effect on glandular system)
शरीर प्रतिक्षण कुछ क्रिया-प्रतिक्रिया करता रहता है। क्रिया-प्रतिकिया से भावों पर प्रभाव होता है। भावों से ग्रन्थी तंत्र प्रभावित होता है। कायोत्सर्ग से शरीर स्थिर, शिथिल होता है। भावों में परिवर्तन एवं जागरूकता बढ़ती है। स्राव सन्तुलित होते हैं। उनमें समरसता, संतुलन पैदा होता है ।
ग्रथियां के स्रावों में संतुलन पैदा होने से प्राण सक्रिय होता है। प्राण की सक्रियता से उर्जा का विकास होता है। शरीर में रुके हुए दोष दूर होने से स्वास्थ्य की उपलब्धि होती है।
शवासन के दूसरे नाम (Savasana other name)
- शवासन को इंग्लिश में कॉर्प्स पोज़ (Corpse pose) कहते हैं।
- इसे योगनिंद्रा (Yog Nidra) भी कहा जाता है।
- इसे शयनासन भी कहा जाता है।
- जैन परम्परा में इसे कायोत्सर्ग (kayotsarg) भी कहते हैं।
यह भी पढ़ें: शीर्षासन (Sirsasana) : करने की विधि, समय, फायदे एवं सावधानियां