HomeTantra and Mantraशांति मंत्र: उत्पत्ति, जप करने की विधि, लाभ और अन्य जानकारी

शांति मंत्र: उत्पत्ति, जप करने की विधि, लाभ और अन्य जानकारी

शांति मंत्र (shanti mantra), हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण मंत्रों में से एक है जो वेदों से उत्पन्न हुआ है। यह मंत्र हमारी आत्मा, मन, और पर्यावरण में शांति लाने के लिए जपा जाता है। शांति मंत्र का उच्चारण हमें मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है।

शांति मंत्र का अर्थ और महत्व

शांति मंत्र का अर्थ है “शांति” या “संतोष”। इसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन सभी का मुख्य उद्देश्य शांति की स्थापना है। यह मंत्र न केवल व्यक्तिगत शांति बल्कि विश्व शांति का भी प्रतीक है।

शांति मंत्र (ॐ द्यौः शान्तिः) का मूल पाठ और शाब्दिक अर्थ

शांति मंत्र के कई रूप होते हैं, लेकिन एक प्रमुख शांति मंत्र इस प्रकार है:

ॐ द्यौः शान्तिः

अन्तरिक्षं शान्तिः

पृथ्वी शान्तिः

आपः शान्तिः

ओषधयः शान्तिः

वनस्पतयः शान्तिः

विश्वेदेवाः शान्तिः

ब्रह्म शान्तिः

सर्वं शान्तिः

शान्तिरेव शान्तिः

सामा शान्तिरेधिः ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

शांति मंत्र का शाब्दिक अर्थ:

  • ॐ: परमात्मा का प्रतीक
  • द्यौः शान्तिः: आकाश में शांति हो
  • अन्तरिक्षं शान्तिः: अंतरिक्ष में शांति हो
  • पृथ्वी शान्तिः: पृथ्वी पर शांति हो
  • आपः शान्तिः: जल में शांति हो
  • ओषधयः शान्तिः: औषधियों में शांति हो
  • वनस्पतयः शान्तिः: वनस्पतियों में शांति हो
  • विश्वेदेवाः शान्तिः: सभी देवताओं में शांति हो
  • ब्रह्म शान्तिः: ब्रह्मांड में शांति हो
  • सर्वं शान्तिः: सभी में शांति हो
  • शान्तिरेव शान्तिः: केवल शांति हो
  • सामा शान्तिरेधिः: समस्त शांति की अभिवृद्धि हो
  • ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः: ॐ शांति शांति शांति

शांति मंत्र की उत्पत्ति

शांति मंत्र वेदों में पाया जाता है, विशेष रूप से यजुर्वेद और अथर्ववेद में। इसका प्रमुख उद्देश्य चारों ओर शांति फैलाना है। वेदों में इसे विभिन्न देवताओं और प्राकृतिक तत्वों के साथ जोड़ा गया है, जो संपूर्ण ब्रह्मांड में शांति की कामना करते हैं।

शांति मंत्र जप करने की विधि

  1. स्थान: शांति मंत्र का जप किसी शांत और पवित्र स्थान पर करें। आप इसे अपने घर के पूजा स्थल या किसी मंदिर में भी कर सकते हैं।
  2. समय: प्रातः काल और संध्या काल शांति मंत्र के जप के लिए सबसे उत्तम समय होते हैं।
  3. आसन: पद्मासन या सुखासन में बैठकर, अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  4. मुद्रा: अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें।
  5. ध्यान: अपनी आँखें बंद करें और ध्यान को केंद्रित करें।
  6. जप: शांति मंत्र का उच्चारण धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से करें। कम से कम 108 बार जप करने का प्रयास करें।

शांति मंत्र जप करने के लाभ

  1. मानसिक शांति: शांति मंत्र का नियमित जप मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  2. शारीरिक स्वास्थ्य: यह मंत्र शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होता है, तनाव और चिंता को कम करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र आत्मा को उच्चतम आध्यात्मिक स्तर पर ले जाने में सहायक होता है।
  4. पर्यावरणीय शांति: शांति मंत्र का उच्चारण पर्यावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने में मदद करता है।
  5. सामाजिक समरसता: इस मंत्र के माध्यम से सामाजिक सद्भाव और शांति की स्थापना होती है।

अन्य प्रमुख शांति मंत्र

शांति मंत्र के अलावा, अन्य प्रमुख शांति मंत्र भी हैं जो विभिन्न ग्रंथों में मिलते हैं:

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः: 

यह मंत्र तीन बार ‘शांति’ का उच्चारण करता है, जो व्यक्ति, पर्यावरण और दिव्य स्तर पर शांति की कामना करता है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः:

सर्वे भवन्तु सुखिनः

सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

यह मंत्र सभी प्राणियों के सुख, स्वास्थ्य और भलाई की कामना करता है।

असतो मा सद्गमय

असतो मा सद्गमय

तमसो मा ज्योतिर्गमय।

मृत्योर्मा अमृतं गमय

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

यह मंत्र हमें असत्य से सत्य, अंधकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर ले जाने की प्रार्थना करता है।

निष्कर्ष

शांति मंत्र हमारे जीवन में शांति, सद्भाव और संतुलन लाने का एक अद्भुत साधन है। इसका नियमित जप न केवल व्यक्तिगत बल्कि वैश्विक शांति की स्थापना में सहायक होता है। इसलिए, इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और शांति का अनुभव करें।

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