Sanatan Dharma: बहुत से लोग सनातन धर्म से सम्बंधित वेदों, शास्त्रों, अर्थ, पुरुषार्थ इत्यादि को ढूंढते रहते हैं। इस लेख के माध्यम से ये सारी जानकारी एक जगह देने की कोशिश की है हमने। अगर कोई त्रुटि हो इसमें तो कृपया हमें अवगत करने की चेष्टा करें। हम अपनी जानकारी में निरंतर शुद्धि के लिए प्रयासरत हैं।
वेद: हमारे चार वेद है।
- ऋग्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
- यजुर्वेद
उपनिषद्
उपनिषद् शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। अगर हम इसके संधि विच्छेद का अर्थ निकले तो ‘उप’ का अर्थ बैठना, ‘नि’ का अर्थ निकट, और ‘सद्’ का अर्थ गति-पाना या जानना होता है। इसका साधारण शाब्दिक अर्थ है – ‘समीप उपवेशन’ या ‘समीप बैठकर जानना’। पुराने समय में ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना आवश्यक था, उपनिषदों की अवधारणा वही से आयी। उपनिषदों में गुरु और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।
उपनिषद् सनातन धर्म के धर्मग्रंथो में से महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। ये संस्कृत में लिखे गये हैं। प्रत्येक उपनिषद् किसी न किसी वेद से जुड़ा होता है। कुल 108 उपनिषद् हैं – 13 मुख्य उपनिषद्, 21 सामान्य वेदांत, 20 संन्यास, 14 वैष्णव, 12 शैव, 8 शाक्त, और 20 योग। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है।
1. ऋग्वेद – 10 उपनिषद्
- ऐतरेय
- कौशितकी
- आत्मबोध
- मुद्गल
- निर्वाण
- त्रिपुर
- सौभाग्य-लक्ष्मी
- बह्वृच
- अक्षमालिका
- नादबिंदु
2. सामवेद – 16 उपनिषद्
- छान्दोग्य
- केन
- वज्रसूची
- महा
- सावित्री
- आरुणि
- मैत्रेय
- बृहत सन्यास
- कुंडिका
- लघु सन्यास
- वासुदेव
- अव्यक्त
- रुद्राक्ष
- जबली
- योगचूड़ामणि
- दरसन
3. यजुर्वेद – 51 उपनिषद्
क. कृष्ण यजुर्वेद (32 उपनिषद्)
- तैतरीय
- कथा
- श्वेतश्वतर
- मैत्र्याणि
- सर्वसारा
- शुक्ररहस्य
- स्कन्द
- गर्भ
- सरीरक
- एकाक्षर
- अक्षी
- ब्रह्म
- अवधूत
- कथाश्रुति
- सरस्वती रहस्य
- नारायण
- काली संतरण
- कैवल्य
- कालाग्नि रूद्र
- दक्षिणमूर्ति
- रुद्रहृदया
- पंचब्रह्मा
- अमृतबिंदु
- तेजबिंदु
- अमृतानंद
- कशुरिका
- ध्यानबिंदु
- ब्रह्मविद्या
- योगतत्व
- योगशिखा
- योगकुण्डलिनी
- वराह
ख. शुक्ल यजुर्वेद (19 उपनिषद्)
- बृहदारण्यक
- ईशा
- सुबाला
- मन्त्रिका
- निरालम्बा
- पिंगला
- अध्यात्म
- मुक्तिका
- जबाला
- परमहंस
- भिक्षुक
- त्रियतत्वाद्युता
- याजन्वाल्क्य
- शाट्यायनीय
- तारसार
- अद्वयतारका
- हंसोपनिषद
- त्रिशिखब्राह्मण
- मण्डलब्राह्मण
4 अथर्ववेद – 31 उपनिषद्
- मुण्डक
- माण्डूक्य
- प्रश्नोपनिषद्
- आत्मा
- सूर्य
- प्राणाग्निहोत्र
- आश्रम
- नारदपरिव्राजक
- परमहंस परिव्रजक
- परब्रह्म
- सीता
- देवी
- त्रिपुरातापिनी
- भावन
- नृसिंह तापनीय
- महानारायण
- राम रहस्य
- राम तापनीय
- गोपाल तापनीय
- कृष्णा
- हयग्रीव
- दत्तात्रेय
- गरुड़
- भस्मजाबाल
- गणपति
- अथर्वसिरस्
- अथर्वशिखा
- बृहज्जाबाल
- शरभ
- शाण्डिल्य
- पाशुपतिब्रह्म
- महावाक्य
वेदांग (Vedang)
कुल 6 वेदांग है, जिन्हे व्यापक रूप में शास्त्र भी कहा जाता हैं। हालाँकि ये शास्त्र नहीं हैं।
- शिक्षा
- कल्प
- निरूक्त
- व्याकरण
- ज्योतिष
- छंद
शास्त्र (Shastra)
हमारे सनातन धर्म में 6 शास्त्र वर्णित हैं। (6 shastra in sanatan dharama)
- न्याय शास्त्र
- वैशेषिक शास्त्र
- सांख्य शास्त्र
- योग शास्त्र
- मीमांसा शास्त्र
- वेदांत शास्त्र (उत्तर मीमांसा)
पुराण (Purana)
सनातन धर्म में 18 महापुराण हैं –
- ब्रह्मपुराण
- पद्मपुराण
- विष्णुपुराण
- शिवपुराण
- श्रीमद्भावतपुराण
- नारदपुराण
- मार्कण्डेयपुराण
- अग्निपुराण
- भविष्यपुराण
- ब्रह्मवैवर्तपुराण
- लिंगपुराण
- वाराहपुराण
- स्कन्धपुराण
- वामनपुराण
- कूर्मपुराण
- मत्सयपुराण
- गरुड़पुराण
- ब्रह्माण्डपुराण
18 उप पुराण या लघु पुराण हैं (Uppurana or Laghu Purana)
- सनत-कुमार
- नरसिम्हा
- बृहन-नारदीय
- दुर्वासा
- शिव-रहस्य
- कपिला
- वामन
- भार्गव
- वरुणा
- कलिका
- साम्बा
- नंदी
- सूर्य
- परासर
- वशिष्ठ
- गणेशा
- मुद्गल
- देवी-भगवत
पंचामृत (Panchamrit or Panchamrut)
सनातन धर्म में वर्णित पंचामृत।
- दूध
- दही
- घी
- मध
- साकर (शक्कर)
पंचतत्व (Panchtatva)
सनातन धर्म में वर्णित पंचतत्व।
- पृथ्वी
- जल
- तेज
- वायु
- आकाश
गुण
सनातन धर्म में वर्णित तीन गुण।
- सत्व्
- रज्
- तम्
दोष (Dosha)
सनातन धर्म में वर्णित तीन दोष।
- वात्
- पित्त्
- कफ
लोक (Loka)
सनातन धर्म में वर्णित तीन लोक।
- आकाश लोक
- मृत्यु लोक
- पाताल लोक
महासागर (Mahasagar)
सनातन धर्म में वर्णित सात महासागर।
- क्षीरसागर
- दधिसागर
- घृतसागर
- मथानसागर
- मधुसागर
- मदिरासागर
- लवणसागर
द्वीप (Dweep)
सनातन धर्म में वर्णित सात द्वीप।
- जम्बू द्वीप
- पलक्ष द्वीप
- कुश द्वीप
- पुष्कर द्वीप
- शंकर द्वीप
- कांच द्वीप
- शालमाली द्वीप
त्रिदेव (Tirdeva)
सनातन धर्म में वर्णित तीन देव।
- ब्रह्मा
- विष्णु
- महेश
वर्ण (Varna in sanatan dharma)
सनातन धर्म में वर्णित चार वर्ण।
- ब्राह्मण
- क्षत्रिय
- वैश्य
- शूद्र
पुरुषार्थ (Purushartha)
सनातन धर्म में वर्णित चार पुरुषार्थ (कर्मफल)।
- धर्म
- अर्थ
- काम
- मोक्ष
आश्रम (Ashramas in Sanatan Dharma)
सनातन धर्म में वर्णित चार आश्रम।
- ब्रह्मचर्य
- गृहस्थ
- वानप्रस्थ
- संन्यास
अष्टधातु (Ashtadhatu in Sanatan Dharma)
सनातन धर्म में वर्णित अष्टधातु।
- सोना
- चांदी
- तांबु
- लोह
- सीसु
- कांस्य
- पित्तल
- रांगु
पंचदेव (Panchdeva in Sanatan Dharma)
सनातन धर्म में वर्णित पंचदेव।
- ब्रह्मा
- विष्णु
- महेश
- गणेश
- सूर्य
चौदहरत्न (चतुर्दश रत्न) (14 Ratna in Sanatan dharma)
एक प्रचलित श्लोक के अनुसार चौदह रत्न हैं:
लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुराधन्वन्तरिश्चन्द्रमाः।
गावः कामदुहा सुरेश्वरगजो रम्भादिदेवांगनाः।।
अश्वः सप्तमुखो विषं हरिधनुः शंखोमृतं चाम्बुधेः।
रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदिनं कुर्यात्सदा मंगलम्।।
सनातन धर्म में वर्णित चौदह रत्न।
- अमृत
- ऐरावत हाथी
- कल्पवृक्ष
- कौस्तुभ मणी
- उच्चै:श्रवा अश्व
- पांचजन्य शंख
- चंद्रमा
- धनुष
- कामधेनु गाय
- धनवंतरी
- रंभा अप्सरा
- लक्ष्मी माताजी
- वारुणी
- वृष
नवधाभक्ति (Navdha Bhakti)
सनातन धर्म में वर्णित नवधा भक्ति।
- श्रवण
- कीर्तन
- स्मरण
- पादसेवन
- अर्चना
- वंदना
- मित्र
- दास्य
- आत्मनिवेदन
चौदहभुवन (14 bhuvan)
सनातन धर्म में वर्णित चौदह भुवन।
- तल
- अतल
- वितल
- सुतल
- रसातल
- पाताल
- भुवलोक
- भुलोक
- स्वर्ग
- मृत्युलोक
- यमलोक
- वरुणलोक
- सत्यलोक
- ब्रह्मलोक
यह भी पढ़िए: Sanatan Dharma: वेद, उपनिषद, पुराण, श्रुति और स्मृति क्या है?