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पिंटू महरा (Pintu Maharah) की 30 करोड़ की कमाई का राज़ – महाकुंभ 2025 में नाविक व्यवसाय की सच्चाई

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में विधानसभा में दावा किया कि प्रयागराज के नाविक पिंटू महरा (Pintu Maharah) ने महाकुंभ 2025 के दौरान 45 दिनों में 30 करोड़ रुपये की कमाई की। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि क्या नाव चलाकर इतनी बड़ी कमाई संभव है या इसके पीछे कोई और रहस्य छिपा है?

पिंटू महरा (Pintu Maharah) – सिर्फ़ नाविक नहीं, ठेकेदार भी!

पिंटू महरा का परिवार वर्षों से नाव संचालन का कार्य करता आ रहा है, लेकिन उनका कारोबार सिर्फ़ नाव तक सीमित नहीं है। उनकी माता शुक्लावती देवी उत्तर प्रदेश विद्युत विभाग की पंजीकृत ठेकेदार हैं, और उनका परिवार महाकुंभ और माघ मेलों में सड़क निर्माण व विद्युत उपकेंद्र बनाने का कार्य भी करता है।

30 करोड़ रुपये की कमाई – गणना क्या कहती है?

महाकुंभ के दौरान नाविकों की कमाई का गणित कुछ इस प्रकार है:

  • प्रशासन द्वारा तय नाव किराया: ₹75-100 प्रति यात्री
  • प्रति नाव अधिकतम यात्री: 8 लोग
  • पिंटू महरा की नावों की संख्या: 130 (125 चप्पू नाव, 5 मोटरबोट)
  • औसतन प्रति नाव के चक्कर: 8 चक्कर प्रति दिन

अगर एक नाव एक दिन में ₹6,400 कमाती, तो 130 नावों की 45 दिनों की कुल कमाई ₹3.74 करोड़ होती।

फिर 30 करोड़ का आँकड़ा कैसे आया?

अगर यह गणना सही है, तो 30 करोड़ रुपये की कमाई तभी संभव हो सकती है जब नाविकों ने श्रद्धालुओं से तय किराये से अधिक वसूली की हो, या फिर यह कमाई अन्य व्यवसायों से हुई हो। पिंटू महरा के परिवार का दावा है कि यह आय श्रद्धालुओं की ओर से दी गई बख्शीश और अन्य सेवाओं से भी हुई है।

मुख्यमंत्री की जानकारी और विपक्ष का हमला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पिंटू महरा की प्रशंसा के बाद, सोशल मीडिया पर यह प्रश्न उठने लगा कि क्या मुख्यमंत्री को पूरी सच्चाई ज्ञात थी? क्या अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पिंटू महरा की वास्तविकता से अवगत नहीं कराया, या यह आंकड़ा महाकुंभ की सफलता दर्शाने के लिए प्रस्तुत किया गया था? इस बीच, विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पोस्ट कर लिखा, ‘पातालखोजी’ पहले पता कर लिया करें फिर महिमामंडन किया करें।’

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने बिना जांच के पिंटू महरा की सराहना की।

क्या महाकुंभ में नाविकों की आय पारदर्शी है?

इस प्रकरण ने महाकुंभ 2025 के दौरान नाविकों की आय और सरकारी दावों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है, जिससे भविष्य में ऐसे आयोजनों में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या प्रशासन नाविकों की सही कमाई पर निगरानी रखता है? महाकुंभ 2025 की सफलता के दावों के बीच, इस तरह के आंकड़े यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या इस आयोजन से जुड़ी सभी आर्थिक गतिविधियाँ पारदर्शी हैं।

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