Pawanmuktasana: पवनमुक्तासन (gas release pose or Wind-Relieving Pose) एक उपचारात्मक मुद्रा है जो पूरी पीठ और रीढ़ की मालिश करते हुए पेट से गैस निकालने में मदद करने में प्रभावी है। यह नाम संस्कृत शब्द पवन और मुक्त से लिया गया है, जिसका अर्थ है “हवा से मुक्ति (gas release)” और आसन, जिसका अर्थ है “मुद्रा।”
भूमि पर लेटकर किए जाने वाले आसनों में पवनमुक्तासन परिपूर्ण आसन है। पवनमुक्तासन अपने नाम से ही अपनी स्थिति सूचित कर रहा है कि पवन (वायु) की बाधाओं से व्यक्ति को मुक्त करता है। वायु का दोष केवल पेट ही में नहीं रहता अपितु सम्पूर्ण शरीर के जोड़ एवं अवयवों में भी रहता है। पवनमुक्तासन शरीर के प्रत्येक जोड़ को प्रभावित करता है।
पवनमुक्तासन की विधि (Pawanamuktasana steps in Hindi)
पवनमुक्तासन से सम्पूर्ण शरीर के अवयव, मांसपेशियाँ एवं स्नायुओं से दूषित वायु का निरसन होता है।
अर्द्ध पवनमुक्तासन (ardh pavanmuktasana)
आसन पर पीठ के बल लेटकर पैर सीधे फैलायें। शरीर के प्रत्येक अंग एवं प्रत्येक स्नायु तन्त्र को शिथिलता का झुकाव दें। श्वास मंद-मंद लेते हुए चैतन्य के प्रति सजग बने रहें ।
- धीरे-धीरे श्वास भरते हुए दायें पैर को दायीं ओर ले जायें।
- श्वास छोड़ते हुए पैर को सीधा करें।
- श्वास भरते हुए दाहिने घुटने को मोड़कर सीने से लगायें। ऐड़ी को नितम्ब से सटाये रखें। पंजे को आगे की ओर तानें ।
- श्वास छोड़ते हुए हाथों से घुटने को बाँधे और घुटने पर नाक लगायें।
- श्वास भरते हुए गर्दन को सीधा करें। सिर को भूमि पर ले आयें।
- श्वास छोड़ते हुए हाथों का बन्धन छोड़ें। दायें पैर को सीधा करें। इसी प्रकार बायें पैर से भी किया जाये।
- यह अर्ध पवनमुक्तासन है।
पूर्ण पवनमुक्तासन की विधि (full pawanamuktasana)
आसन पर पीठ के बल लेटकर पैर फैलायें शरीर के प्रत्येक अंग एवं प्रत्येक स्नायु तंत्र को शिथिलता का सुझाव दें।
- श्वास को मंद-मंद (slow breathing) लेते हुए चैतन्य के प्रति सजग बने रहें।
- दोनों पैर जमीन से तीन अंगुल ऊपर रखें।
- श्वास भरते हुए दोनों पैरों को बिना मोड़े दायीं ओर फैलायें ।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को सीधा करें।
- श्वास भरते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर सीने से लगायें। एड़ियाँ नितम्ब से सटाए रखें। पंजों को आगे की ओर तानें ।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों से घुटनों को बाँधे और घुटनों के मध्य नाक लगायें ।
- श्वास भरते हुए गर्दन को सीधा करें। सिर को पीछे भूमि पर ले आयें।
- श्वास छोड़ते हुए हाथों का बंधन छोड़ें। दोनों पैर सीधे फैलायें।
- अब यही प्रक्रिया बायीं ओर से करें।
- श्वास भरते हुए दोनों पैरों को बिना मोड़े सीधे बायीं ओर फैलायें।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को सीधा करें।
- अंत में श्वास भरते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर सीने से लगायें। एड़ियां नितम्ब से सटाएँ। पंजों को आगे तानें ।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों से घुटनों को बाँधे और घुटनों के मध्य नाक लगायें।
- श्वास भरते हुए गर्दन को सीधा करें। सिर को पीछे भूमि पर ले आयें।
- श्वास छोड़ते हुए हाथों का बंधन छोड़ें। दोनों पैर सीधे फैलायें।
- दोनों पैरों को जमीन से तीन अंगुल ऊपर रखें।
- कुछ क्षण श्वास रोकें। जितना आराम से रोक सकें, रोकें।
- एक से चालीस तक जितनी गिनती गिन सकें, गिनें।
- फिर श्वास छोड़ते हुए पैरों को भूमि पर आने दें।
- उपर्युक्त पवनमुक्तासन का विशिष्ट प्रकार है।
पवनमुक्तासन की सरल विधि (Easy steps of pavanamuktasana in Hindi)
इसे सामान्यत: सरलता (easily) से भी किया जा सकता है।
- भूमि पर सीधे लेटें ।
- श्वास लेते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर सीने से लगायें। एड़ी नितम्ब से सटी रहें। पंजों को आगे की ओर तानें।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों से घुटनों को बाँधे एवं घुटनों के मध्य ठुड्डी या नाक लगायें। एड़ियां नितम्ब से लगी रहेगी।
- श्वास को लेते हुए गर्दन को सीधा करें एवं सिर को भूमि पर लायें ।
- श्वास छोड़ते हुए पैरों को सीधा करें। यह पवनमुक्तासन की सरल विधि है।
और पढ़ें: Uttanpadasana: उत्तानपादासन की विधि, सावधानी, और फायदे
पवनमुक्तासन कितनी देर तक करें ? (How long to do Pawanmuktasana)
एक मिनट में एक बार करें। तीन से पांच आवृत्ति प्रतिदिन करें। अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ायें। अभ्यास की स्थिरता के पश्चात् घुटनों पर नाक लगा कर रुकने के समय को तीन सैकेण्ड तक बढ़ाया जा सकता है। पैरों को सीधा करें जमीन से तीन अँगुल ऊपर रखें। सौ तक गिनती गिनें। अथवा एक-दो मिनट तक रखें ।
पवनमुक्तासन सावधानी और निषेध (Pawanmuktasana precautions and prohibitions in Hindi)
- गर्दन, मेरुदंड में दोष या विकृति हो तो प्रशिक्षक के निर्देश बिना पवनमुक्तासन न करें।
- जिनके घुटनों में दर्द अथवा चोट आई हुई हो वे भी सावधानी पूर्वक करें।
- पवनमुक्तासन करते समय जमीन पर मोटी दरी अथवा कम्बल की कई तह होनी आवश्यक है अन्यथा मेरुदण्ड के मनकों पर खरोंच और रगड़ से नुकसान होने की सम्भावना रहती है।
पवनमुक्तासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव (Pawanmuktasana benefits in Hindi)
पवनमुक्तासन पूर्ण आसन है। यह शरीर के विभिन्न अवयवों को प्रभावित करता है। विशेषतया पेट के अवयव इससे सक्रिय और व्यवस्थित होते हैं। वायु दोषों को दूर करने के लिए यह आसन प्रभावशाली है। पेट में गैस बनने, अम्लता को दूर करने में यह उपयोगी आसन है। कुल्हे के जोड़ों को शिथिल बनाता है। पेट की माँसपेशियों को सक्रिय बनाता है। इससे सीना और फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। यह कब्ज को ठीक करता है। अपान वायु की शुद्धि करता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वायु, पित्त और कफ तीनों होते हैं। ये तीनों शरीर में जब सम रहते हैं, जब स्वास्थ्य ठीक रहता है। इनकी विकृति के साथ शरीर में दोष उत्पन्न होने लगते हैं। पवनमुक्तासन त्रिदोष का शमन करता है। यह वायु के दोष – डकार, हिचकियाँ, पेट और शरीर के जोड़ों के दर्द को ठीक करता है।
पवनमुक्तासन का ग्रन्थियों पर प्रभाव (Effect of Pawanmuktasana on glands)
पवनमुक्तासन से प्रभावित होने वाली प्रमुख ग्रन्थियाँ हैं-क्लोम (पेन्क्रियाज), गोनाड्स, एड्रीनल, थायमस, थायरायड। इनमें क्लोम ग्रंथि विशेष प्रभावित होती हैं।
क्लोम ग्रन्थि (chyme gland)
यह ग्रन्थि छ: इंच लम्बी होती हैं और चपटी मिर्च के आकार की होती हैं। इसका स्थान उदर गुहा में होता है। क्लोम ग्रन्थि का स्राव पित्त नलिका में मिलकर स्निग्ध भोजन को पचाता है। पवमुक्तासन से यह ग्रन्थि अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगती है। एड्रीनल और गोनाड्स वायु की विकृति से चंचल व उत्तेजित होती है। वायु की शुद्धि से इनकी उत्तेजना में अन्तर आता है। इससे ब्रह्मचर्य की आराधना में सहयोग मिलता है। सीने के मध्य थायमस ग्रन्थि होती है। घुटने के दबाव से इसके स्रावों का विकास होता है, जिससे श्वेत-कण अधिक मात्रा में बनने लगते हैं और जीवन शक्ति बढ़ती है। वे कीटाणुओं से सुरक्षा करते हैं घुटनों पर नाक लगाने से थायरायड ग्रन्थि पर प्रभाव पड़ता है। ये स्राव शरीर के विकास और स्थूलता के ह्रास में सहयोगी बनते हैं।